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कर्नाटक चुनाव में सिर्फ 12 दिन शेष हैं। राज्य की तीन बड़ी पार्टी कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की निगाहें राज्य के लिंगायत समुदाय पर हैं। असेंबली की कुल 224 सीट में से 105 पर लिंगायत बहुल हैं, इनमें से 44 इस बार निर्णायक हो सकती हैं। इसकी वजह है कि पिछले चुनाव में इन पर उम्मीदवारों की ज्यादा से ज्यादा 10 हजार वोट से हार-जीत हुई है। 2013 चुनाव में इस समुदाय ने कांग्रेस को सपोर्ट किया था। इससे पार्टी को इन 105 सीटों में से 63 पर कामयाब मिली थी। माना जा रहा है कि इसी वजह सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का कार्ड खेला है।
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